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रहस्यमाई चश्मा भाग - 29




गांव के वातावरण में नकारात्मक एव असंस्कारिक प्रबृत्ति यो को बढ़ावा मिल रहा है गांव के अन्य लोग उससे भिड़ना नही चाहता है सभी लोग यही कहते है कि कीचड़ में पत्थर फेंकने से खुद पर भी दाग गंदगी के छींटे पड़ेंगे ऐसे ही गांव के कथित सज्जन शरीफ लोंगो में मैं भी हूँ ।

यह भी जानकारी मिली कि शुभा ने दो दिन से कुछ खाया नही मंदिर में कोई चढ़ावा आया नही जो भी आया था उसकी रोटी बनाकर शुभा ने रात्रि और प्रातः सुयश को जाने से पूर्व खिलाया स्वंय भूखी रही दो दिन से भूखा पेट उस पर बेटे कि प्रतीक्षा नौकरी के लिए गए बेटे का न लौटना अच्छो अच्छो को विचलित कर देगा शुभा कि तो कोई बात ही नही है वह तो वैसे ही तिरस्कार अपमान के पत्थरों की सामाजिक मार से तो विचलित थी ही बेटे के इंतजार ने उसे अंदर से झकझोर कर रख दिया क्योकि उस दिन मैने भी शुभा को देखा था,,,,,


 उंसे देखते ही लग रहा था कि यह कभी भी अपना आपा धैर्य और संतुलन खो देगी फिर भी वह गांव में ही रहकर अपने बेटे का इंतज़ार कर रही थी लेकिन नत्थू एव उसके शातिर गिरोह कहे या समाज को यह भी रास नही आया उन बदतमिज़ो ने अपनी अभद्र एव पीड़ादायी हरकतों से शुभा को इतना परेशान कर दिया कि वह गांव छोड़कर भागने को विवश हो गयी कुछ दिन बाद मुझे जानकारी मिली कि शुभा पेड़ से टकराकर घायल होकर कीचड़ एव दल दल में पूरी रात पड़ी रही सुबह जब कुछ शराबियों ने उसे कीचड़ में देखा तो उन्होंने उसे निकालने की कोशिश किया भूखी शारिरिक रूप से कमजोर शुभा को ने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया कि जिससे कि शराबियों ने शुभा को पागल समझ लिया और गांव में जाकर चारो तरफ यह प्रचारित कर दिया,,,,


 कि गांव के बाहर कीचड़ में एक पागल औरत कही से बहक कर आ गयी है गांव के बच्चे एव कोई भी व्यक्ति उंसे ना छेड़े ना उसके नजदीक जाय क्या था बच्चों के लिए कौतूहल एव मनोरंजन का बहाना मिल गया शुभा को हर बच्चे युवा में सुयश ही दिखता अतः जब वह किसी किशोर बच्चे को या युवा को देखती उसके पास अपना सुयश समझकर जाती लेकिन बच्चो को लगता कि वह पागल है,,,,,


कही कुछ अनाप शनाप हरकत ना कर बैठे अतः दूर से ही शुभा को अपमानित करते पत्थर मारते श्यामचरण जी ने बताया वह कहा गयी और अब कहाँ है किसी को पता नही मंगलम चौधरीं ने कहा श्यामचरण जी गांव गांव दर दर भटकने से अच्छा है कि ईश्वर के भरोसे ही शुभा को छोड़ दिया जाय वह जो भी शुभा के लिए करेगा अच्छा ही करेगा,,,,


मंगलम चौधरी कि बातों से सहमत होते हुए श्यामाचरण जी ने कहां सत्य वचन चौधरी साहब शुभा के भाग्य में ईश्वर ने जो कुछ लिखा है वही होगा हम लोग सिर्फ सकारत्मक सोच के साथ अपनी सोच समझ के अनुसार सही दिशा में अपना प्रयास ही कर सकते है परिणाम पर कोई अधिकार नही है मंगलम चौधरी ने कहा आदरणीय श्यामा चरण जी आपसे बड़े ही श्रद्धा आस्था विनम्रता के साथ अनुरोध विनय है कि आप भी शुभा के विषय मे अबसे गम्भीर प्रायास करने की महती कृपा करें,,,,,


क्योकि आपके मन मे जो भी संसय शुभा को लेकर रहा होगा वह समाप्त हो चुका होगा श्यामचरण जी बोले चौधरी साहब आप विश्वास के साथ आश्वस्त होकर जाईये शुभा अब पूरे मिथिलांचल के सम्मान है उंसे खोजने के लिए पूरा मिथिलांचल का हर नौजवान युवा किशोर बृद्ध जो जहाँ है जिस भी स्थिति में है अपनी दक्षता क्षमता के अनुसार शुभा कि खोज करने में अपकी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहायता करेगा यह बहुत छोटी हद हैसियत के श्यामाचरण का दिया हुआ वचन है,,,,


 जिसे आप कुरुक्षेत्र कि अर्जुन प्रतिज्ञा समझे मंगलम चौधरीं परिपक्व व्यवसायी ही नही बहुत तजुर्बे वाले गम्भीर एव शक्तिशाली व्यक्ति थे उन्हें बहुत स्प्ष्ट था कि श्यामाचरण झा जी जो आश्वासन उन्हें दे रहे है वह विल्कुल सत्य और संसय से परे निश्छल आत्मा कि आवाज है ।

मंगलम चौधरी बोले मैं निःसंदेह और आश्वत होकर ही आपकी चौखट से जाऊंगा ।एक निवेदन करना है आपसे श्यामाचरण जी बोले आदेश करे चौधरी साहब मंगलम चौधरी बोले मैं अपनी मिलो के मजूदरो कर्मचारियों अधिकारियों से जब भी मिलता हूँ या जब भी वे स्वयं मिलने आते है कुछ ना कुछ अवश्य मांगते है आपने मुझे अपने आतिथ्य से अभिभूत गौरवान्वित कर दिया और भविष्य का भी के लिए भी आश्वस्त कर दिया लेकिन आपने कहां कुछ नही न तो गांव के लिए ना ही गांव वालों के लिए जबकि आप गांव वालों एव गांव के विकास के लिए सदैव प्रायास करते रहते है,,,,

श्यामाचरण झा जी बोले भगवान से भी कोई कुछ मांगता है क्या? मंगलम चौधरी आवक होकर श्यामाचरण जी को देखते रहे तभी श्यामाचरण जी ने बात को बडलते हुये कहा चौधरी साहब हमारे सनातन कि परंपरा है अतिथि देवो भव मिथिलांचल तो सनातन परम्पराओ का परम उजियार है मंगलम चौधरी को भली भांति पता चल चुका था कि श्यामाचरण जी को साक्षात माता सरस्वती का ही आशीर्वाद है बोले तो मैं ही अपनी खुशी इच्छा से गांव में शुभा बालिका इंटरमीडिएट जो भविष्य में उच्चतम कन्या शिक्षा का मिथिलांचल गौरव बनेगा के निर्माण की घोषणा करता हूँ और हां तीरथ राज जी मैं गांव के मंदिर जिसके आप पुजारी है का पुननिर्माण कराने का वचन देता हूँ,,,,,


पुननिर्माण जीर्णोद्धार नही पुजारी जी अब गांव में भव्य शिवालय होगा शुभा शिवालय जहाँ दूर दूर से श्रद्धालुओं का आना जाना होगा और शुभा का शिवालय ये दोनों कार्य एक से डेढ़ वर्षों में पूर्ण कर दिए जाएंगे सिर्फ श्यामचरण जी को कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज के लिए भूमि ग्रामसभा से उपलब्ध करानी होगी हा कोलज और मंदिर दोनों ही शुभा के नाम पर इसलिए कि शुभा कि तलाश में यह गांव मेरा एक अविस्मरणीय पड़ाव है जो कभी भी विस्मृत हो ही नही सकता इतना कहते हुए मंगलम चौधरी ने श्यामाचरण जी से पुजारी तीरथ राज जी से जाने कि अनुमति मांगी और और अपनी कार की तरफ मुखातिब हुये श्यामाचरण जी के साथ टेशू, रामाशीष ,चरामन और कहारो का जत्था था एव पुजारी तीरथ राज सभी ने मंगलम चौधरी सुयश मन्नू मियाँ मेहुल कुमार को बहुत आस्था श्रद्धा सम्मान के साथ विदाई दी मेहुल कुमार ने कार स्टार्ट किया सभी खड़े होकर देख रहे थे जब तक मंगलम चौधरी की कार आंखों से ओझल नही हो गयी।
मंगलम चौधरी के गांव से जाने के बाद सभी अपनी नियमित दिन चर्या में जुट गए लेकिन चुरामन के पेट मे खलबली मची हुई थी कब मौका मिले और अपने आका नत्थू को आंखों देखा कानो सुना हाल सुनाए मंगलम चौधरी के जाते ही चरामन बड़े भाऊक एव नाटकीय भाव भंगिमा के साथ श्यामाचरण जी से
बोला मालिक मुझे आप लोंगो कि बाते सुनकर रोना आ रहा है कलेजा भर गया है हम कुछ देर अकेले में रहना चाहता हूँ आप मुझे आज्ञा देंने की कृपा करें चुरामन का अनुरोध इतना संवेदनाओँ से पूर्ण था कि चाह कर भी श्यामाचरण जी इन्कार नही कर सके उन्हें चुरामन कि छोटी मोटी शरारतों का पता तो था,,,,

जारी है







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4 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:06 AM

Fantastic part

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RISHITA

02-Sep-2023 09:24 AM

Nice

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madhura

01-Sep-2023 10:35 AM

Very nice

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